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बारिश की सलामी में निकला ताजियों का कारवाँ ...
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बारिश की सलामी में निकला ताजियों का कारवाँ ...

                                      100 से ज्यादा ताजियों का कारवाँ नगर गश्त पर निकला

                                       

जावरा मानवता के मसीहा इमाम हुसैन का बलिदान दुनिया भर के लिए प्रेरणा का स्रोत है। नामे हुसैन एक ऐसा शब्द है जिससे सुनकर मुसलमान ही नही बल्कि सभी धर्मो के लोगो के सर अक़ीदत से झुक जाते है और सभी की आँखो मे नमी आ जाती है। ज़िक्रे हुसैन व फिक्रे हुसैन से आदमी ‘इन्सान’ बन जाता है।  हुसैनियत नाम ही नही बल्कि वह विचारधारा है जिसमे कोई न तो किसी पर ज़ुल्म व ज़बरदस्ती कर सकता है न ही वह किसी पर ज़ुल्म व ज़बरदस्ती बर्दाश्त कर सकता है। ​

हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में 100 से ज्यादा ताजियों का कारवाँ नगर गश्त पर निकलारात में सभी ताजिए पुरानी धान मंडी में मध्य भारत ताजिए को सलामी देकर कारवाँ नगर विभिन्न मोहल्लो पुरानी धान मंडी से नीम चौक, आजाद चौक, सोमवारियां, सेठों की गली, पिपली बाजार, घंटाघर बजाज खाना होते हुए सुबह कर्बला मैदान पहुंचा। जहां करीब 11 बजे सबसे पहले अलम शरीफ पर नवाब इफ्तेखार अली के नवासे गुलाम मकदुम बाबा व उनके हसनेन व सिफ्तेन ने गुलाब जल से छीटें की रस्म अदा की। अलम शरीफ के बाद फुटी बावड़ी स्थित दादा मुकिम खां के ताजियें पर सबसे पहले छींटे की रस्म अदा हुई। इसके बाद समस्त ताजियों पर देर शाम तक छीटे का कार्यक्रम चलता रहा। छीटें की रस्म अदायगी के तहत पेलेस स्थित कर्बला मैदान में मेला भी लगा। रियासत काल से निकाले जा रहे ताजियों के सदरों तथा ताजियों के समक्ष मर्सिया पढऩे वाले गायको का नगर में सम्मान किया गया। मोहर्रम के दौरान स्थानीय प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन व नगर सुरक्षा तथा ग्राम रक्षा समिति सदस्यों ने भी काफी मुस्तैदी दिखाई।

 


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