
फिर हादसा, वही लीपापोती, वही इलज़ाम फिर नए ....???
फिर हादसा, वही लीपापोती, वही इलज़ाम फिर नए ....???
डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के मालवा की लाइफलाइन मानी जाने वाली नयागांव,जावरा-लेबड फोरलेन रोड अब मौत की सड़क बन गई है।सड़क निर्माण में तकनीकी खामियों के चलते इस रास्ते पर रोजाना वाहन दुर्घटनाओं हो रही हैं और इनमें हर साल हजारों लोग बेवजह ही मर रहे हैं 12 साल पहले बनी इस सड़क पर ठेकेदार ने कई तकनीकी खामियां छोड़ दी थीं।इस मामले में नकेल कसते हुए सरकार ने पड़ताल के लिए विशेष समिति बनाकर इसे जल्द दुरुस्त करने के लिए पहल भी की थीं। लेकिन नौकरशाही के चलते कार्रवाई के नाम पर नतीजा ढाक के तीन पात ही रहे।
कंपनियों ने छोड़ी तकनीकी खामियां
नेशनल हाईवे आगरा-मुम्बई पर यातायात का दबाव कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने 12 साल पहले दिल्ली और बेंगलुरु को नए रास्ते से जोड़ने की मंशा से पश्चिमी मालवा में नयागांव से लगाकर लेबड तक की फोरलेन सड़क बनवाई थी। ठेकेदार कम्पनी ने दोनों सड़कों पर ना तो 10 फीट चौड़ी सर्विस लेन बनाई और ना ही सड़क पर बने पुल-पुलियाओं का निर्माण उतना ही चौड़ा किया। ठेकेदार ने सरकार से हुए अनुबंध के मुताबिक, ओवरब्रिजों पर लाइटिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं की, वहीं कई जगह ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ने वाली लिंक सड़कों पर साइन बोर्ड भी नहीं लगाए। वहीं बड़े खर्चे से बचने के लिए ऐसी कई तकनीकी खामियों को आज भी अधूरा छोड़ रखा है. लिहाजा यहां आए दिन हो रही वाहन दुर्घटनाओं में लोगों के मरने का सिलसिला जारी है।
नयागांव से लेबड के बीच बनी 260 किलोमीटर लम्बी इस सड़क की शुरुआती लागत करीब 1585 करोड़ रुपए आंकी गई थी और 2003 में सरकार बदलने के बाद मौजूदा सरकार ने इसे सरकारी खर्च से बनाने के बजाय बीओटी पर बनाने का फैसला किया था, लिहाजा दो कम्पनियों से हुए अनुबंध के मुताबिक, इस सड़क निर्माण का जो खाका तैयार किया गया था, उस पर ठेकेदार ने कई जगह अमल ही नहीं किया।
आंदोलन-निरीक्षण भी दूर नहीं कर पा रहे खामियां
फोरलेन बनने के बाद से अब तक यहां हुए हादसों के बाद इन चौराहों पर सुरक्षा के इंतजाम विकसित करने के लिए जनआंदोलन से लेकर ज्ञापन हुए, इतना ही नहीं जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी और प्रदेश सरकार की और से गठित समितियों ने तक यहां निरीक्षण किया, लेकिन खामियां अब भी यथावत है । लेबड़ से नयागांव तक बने फोरलेन पर निर्माण से लेकर अब तक कई सड़क हादसे हुए है, जो सड़क निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही को उजागर करते है। लेकिन इस और कोई भी जवाबदार ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में यह फोरलेन और इस पर बने चौराहे मौत के चौराहे बन गए है। पूरे फोरलेन की बात ना भी करें, यदि केवल शहर के ओद्योगिक क्षैत्र पुलिस थाने की सीमा से गुजरने वाले इस फोरलेन और इस पर बने सभी चौराहे और तिराहों पर ही अब तक कई हादसे हो चुके है ओई सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके है। बीते चार वर्षो से इन चौराहे पर करीब 520 हादसे हुए है। जिनमें 153 लोगों ने अपनी जान गवाई है, जबकि 127 लोग गंभीर तथा 352 लोग साधारण से घायल हुए है। ये तो वे आंकड़े है जो पुलिस के रिकार्ड में दर्ज हुए है, लेकिन ऐसे कई हादसें और भी हुए है जो थाने तक पहुंचे ही नहीं है।फोरलेन पर सड़क हादसों को रोकने के लिए जिला प्रशासन तथा स्थानीय प्रशासन को सड़क पर हो रहे अतिक्रमण को हटाया जाए,अंडरग्राउंड ब्रिज बनाए जाए अवारा मवेशियों को सड़क पर घुमने पर प्रतिबंध लगाया जाए, सड़क किनारे लगी अवैध दुकानों को हटाया जाए, चौराहे पर तथा सड़कों के किनारे लगी शराब की दुकाने हटाई जाए जिससे हादसों में कमी आ सकें।
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