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आलोट नगर परिषद के सीएमओ रहे किंशुक और चौधरी को किया सस्पेंड
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आलोट नगर परिषद के सीएमओ रहे किंशुक और चौधरी को किया सस्पेंड

                                                  वित्तीय अनियमितता पर किया निलंबित 

                                         

आलोट। नगर परिषद में वित्तीय अनियमितता पर प्रभारी सीएमओ रहे दो अधिकारियों को शासन ने निलंबित कर दिया है। इन्होंने तय मदों की राशि दूसरी मदों में खर्च कर दी। संचित निधि से बिना सक्षम स्वीकृति के भुगतान कर दिया। जितनी तनख्वाह नहीं उससे ज्यादा के काम जेब खर्च से करना बता 4 कर्मचारियों के खातों में ‘पेड बाय मी’ नाम से डाले 47 लाख 1 हज़ार 802 रुपए

 जानकारी हो की , 2 दिसंबर 2020 को भाजपा नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर आलोट नगर परिषद में गंभीर वित्तीय अनियमितता की शिकायत की थी। 11 दिसंबर को कलेक्टर ने आलोट एसडीएम राजेश शुक्ला के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने जांच की तो पता चला 31 जुलाई 2017 से 8 मार्च 2019 तक कुलदीप किंशुक और 8 मार्च 2019 से 9 जुलाई 2020 के दरमियान संजय चौधरी यहां सीएमओ के तौर पर पदस्थ रहे। अभी चौधरी माकड़ोन नप में प्रभारी सीएमओ है तथा किंशुक वहीं राजस्व उप निरीक्षक है। इनके आलोट कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास योजना, सांसद-विधायक निधि, शासकीय स्कूल, आंगनवाड़ी भवन व नवोदय स्कूल में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए जो पैसा आया था उसे दूसरी मदों में खर्च कर दिया।ये ही नहीं बल्कि जमा संचित निधि का उपयोग बिना अनुमति के ठेकेदारों व सामग्री सप्लायरों को कर दिया, इसके लिए कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक की अनुमति जरूरी है। कई अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गलत तरीके से लाभ दिया है। इसीलिए कलेक्टर के प्रतिवेदन आधार पर नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त सह-सचिव ने दोनों तत्कालीन सीएमओ किंशुक और चौधरी को सस्पेंड कर दिया है।

                                  कर्मचारियों के खातों में तनख्वाह से ज्यादा रकम 

जांच रिपोर्ट के मुताबिक नगर परिषद लेखा कर्मचारी उमरावसिंह परिहार के खाते में 17 लाख 20 हजार 726 रुपए, बागवान भूरे खां मुल्तानी के खाते में 9 लाख 85 हजार 929, असदउल्ला खां के खाते में 8 लाख 35 हजार 731 रुपए और प्लंबर शराफत अली के खाते में 8 लाख 43 हजार 492 रुपए डाले। इसे पेड बाय मी बताया। जब कोई आकस्मिक काम करना हो और नपा तुरंत भुगतान नहीं कर पाती है तो संबंधित बाबू या अधिकारी वह भुगतान निजी तौर पर करता है तथा बाद में राशि नपा से प्राप्त कर लेता है। यहां सवाल इसलिए उठा क्योंकि जिन कर्मचारियों के खातों में राशि डाली, उनकी इतनी तनख्वाह नहीं कि लाखों रुपए के काम जेब से कर दें। कर्मचारी जांच के घेरे में हैं। यहां तक कि खुद प्रभारी सीएमओ रहे चौधरी ने अपने खाते में 3 लाख 15 हजार 924 रुपए ट्रांसफर कर लिए थे।


 

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