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चुनाव परिणाम क्या राजनीती की नई दिशा तय करेंगे .....
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चुनाव परिणाम क्या राजनीती की नई दिशा तय करेंगे .....

                                      क्या कांग्रेस का विकल्प बन रही ही आप पार्टी 

                                   

डेस्क रिपोर्ट । पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव देश की राजनीती की दिशा और दशा बदलने वाला रहा वही इसने कई नेताओं के राजनीतिक करियर पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनके सियासी दुश्मन नवजोत सिंह सिद्धू, अकाली दल के सर्वेसर्वा सुखबीर बादल और सीएम चन्नी चुनाव हार गए हैं। उधर उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व सीएम हरीश रावत भी औंधे मुंह गिरे हैं। वही उत्तर प्रदेश में भाजपा से सपा में आए गैर-यादव ओबीसी समुदाय के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्या फाजिलनगर से चुनाव हार गए हैं। भाजपा के सुरेंद्र कुशवाहा ने उन्हें 26,000 वोटों के अंतर से हराया। 

                                           अमरिंदर सिंह को जनता ने किया रिटायर 

79 वर्षीय अमरिंदर सिंह को पटियाला (शहरी) से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार अजीतपाल सिंह कोहली ने 19,873 मतों के अंतर से हराया। अमरिंदर सिंह ने पिछले साल मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और बाद में अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया था। उन्होंने भाजपा और सुखदेव सिंह ढींढसा के नेतृत्व वाली शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा था।

                                                नवजोत सिंह सिद्धू भी धड़ाम 

कांग्रेस की पंजाब ईकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को बृहस्पतिवार को अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार और राजनीति में नया चेहरा जीवनज्योत कौर ने सिद्धू को 6,750 मतों के अंतर से हरा दिया। शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया तीसरे नंबर पर रहे। उन्होंने भी इसी सीट से चुनाव लड़ा था।

                                                   चन्नी की आस रही अधूरी

कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी दो विधानसभा क्षेत्रों से किस्मत अजमा रहे थे। रूपनगर जिले के चमकौर साहिब के साथ बरनाला जिले के भदौर से वो चुनाव मैदान में थे। चुनाव के दौरान जब उनके पूछा गया कि अगर दोनों सीटों से चुनाव जीतते हैं तो किस सीट को छोड़ेंगे और कौन-सी सीट से विधायक रहेंगे। उनका कहना था कि चमकौर साहिब सीट छोड़ देंगे। वो भदौर सीट से संबंध रखते हैं, इसलिए यह सीट अपने पास रखेंगे। लेकिन उनकी आस अधूरी रह गई।

                              यूपी में कांग्रेस का ऐसा हाल, 1 फीसदी वोट भी नहीं

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे। यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन आज कांग्रेस की हालत देखिए। फूलपुर में कांग्रेस के प्रत्याशी Siddhanath Maurya को मात्र 801 वोट मिले। यूपी चुनाव में कांग्रेस को 1 सीट जीतने में भी मुश्किल हो रही।

 



 

                               


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