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उल्‍टा पड़ा हड़ताल का दांव, कर्मचारियों की बढ़ी  मुश्किलें
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उल्‍टा पड़ा हड़ताल का दांव, कर्मचारियों की बढ़ी मुश्किलें

उल्‍टा पड़ा हड़ताल का दांव, हजारों कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी।
                                   
भोपाल । मप्र में बीते चार महीने में दो बड़ी हड़तालें हुई हैं दोनों ही हड़तालें कर्मचारियों ने लंबित मांगों की पूर्ति और समस्याओं से छूटकारा पाने के लिए की थीं उनकी मांगे तो पूरी नहीं हुईं, लेकिन मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों ने जुलाई-अगस्त में हड़ताल की थी। बदले में कुछ कर्मचारियों पर निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई कर दी थी, जो वापस नहीं ली जा रही है। इससे ये कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। हाल में आउटसोर्स बिजली कर्मचारियों ने नियमित करने की मांग को लेकर काम बंद किया था। बदले में आउटसोर्स कंपनियों ने सैंकड़ों कर्मचारियों को हटा दिया है। इन कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई है।
आउटसोर्स बिजली कर्मी :- प्रदेश में इनकी संख्या 35 हजार है। इन्हें कुशल, अकुशल और अर्धकुशल श्रेणी में रखकर वेतन दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों ने वेतन बढ़ाने, हादसा होने पर मुआवजा देने, नियमित करने, आउटसोर्स कंपनियों को खत्म करने जैसी मांगों को लेकर 27 सितंबर से हड़ताल शुरू की थी, जो चार दिन तक चली। इस बीच सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। आउटसोर्स अधिकारी, कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों ने कार्रवाई वापस लेने की मांग की है। साथ ही लंबित मांगों को जल्‍द पूरा करने की गुहार भी लगाई है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों ने 19 जुलाई से पांच अगस्त तक हड़ताल की थी। इनमें विभिन्न योजनाओं में संविदा पर काम करने वाले योजना प्रभारी, सहायक यंत्री, उपयंत्री, लिपिक और पंचायतों के सचिव व रोजगार सहायक शामिल थे मप्र रोजगार और सचिव संगठन के प्रतिनिधि हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे ये संविदाकर्मियों को नियमित करने, पदोन्नति देने, अनुकंपा नियुक्ति देने संबंधी अनेक मांगों को लेकर मैदान में उतरे थे। इनकी मांगें तो पूरी नहीं हुई, लेकिन हड़ताल करने की वजह से इन पर कार्रवाई हो गई है अब संगठन के प्रतिनिधि कार्रवाई वापस लेने की मांग कर रहे हैं।


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