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दिलीप कुमार बर्थ एनिवर्सरी पर कुछ खास ....
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दिलीप कुमार बर्थ एनिवर्सरी पर कुछ खास ....

                                 दिलीप कुमार बर्थ एनिवर्सरी पर कुछ खास ....

                             
डेस्क रिपोर्ट। बॉलीवुड के लेजंड सितारों में शुमार दिलीप कुमार की आज 11 दिसंबर को 100 वीं बर्थ एनिवर्सरी हैदिलीप कुमार भारतीय सिनेमा के कोहिनूर कहे जाते हैं। दिलीप कुमार ने मुंबई में 98 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली और आज यानी 11 दिसंबर को उनकी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका करियर भले ही शानदार रहा हो, लेकिन एक मुश्किल दशक था जब उन्हें अपनी पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ दोनों में भारी असफलताओं का सामना करना पड़ा। सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक होने के बावजूद, 1970 के दशक में जब उनकी फिल्में नहीं चलीं, तो उन्हें बुरे दौर का सामना करना पड़ा, वे डिप्रेशन से जूझते रहे। देश में इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस का समर्थन करने के लिए उनकी आलोचना की गई और यहां तक कि उनकी दूसरी शादी के कारण उनके वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल का सामना करना पड़ा।

दिलीप कुमार का इंदिरा गांधी को जवाब....

इन सबके बावजूद दिलीप कुमार अक्सर सुर्खियां बटोरते थे। उन्होंने एक बार भरी भीड़ में इंदिरा गांधी को जबरदस्त रिप्लाई दिया था और एक गजब का किस्सा भी सुनाया था। वायरल हुए एक वीडियो क्लिप में दिलीप कुमार कहते हैं, 'एक बार मैं जवाहरलाल नेहरु के साथ नाश्ता कर रहा था, तो इंदिरा जी ने बीच में कहा कि कैसे ये पिक्चर बनाते हैं आप लोग। मैंने लंदन, पेरिस में प्ले सुने हैं, फिल्में देखी हैं, कितने खूबसूरत और उम्दा हैं, ये आपकी हिंदुस्तानी फिल्मों को क्या होता है। उन्होंने आगे कहामैं उस वक्त काफी सोशल वर्क भी करता था। लोग समझते थे कि ये फिल्म वाले हैं और इनका काम केवल नाटक, तमाशा यही सब है। जवाहरलाल नेहरु को ये अंदाजा था तभी वो अपनी शफकत से नवाजते थे। लेकिन एक सदन की हैसियत से मैंने देखा कि उनकी बेटी अपनी हद से आगे बढ़ रही थीं। कहती हैं तुम्हारी फिल्मों में हिंदोस्तानियत ही नहीं है। ये किस किस्म की इडस्ट्री हैं। 15 मिनट मैंने उनकी बातें सुनी और कहा कि आपने बहुत कुछ कहा जो सही था। लेकिन मैं आपसे कहूं कि हमारी फिल्मों में हिंदोस्तानियत कहां है तो आप ये जो बातें कब से कह रही हैं उसमें एक लफ्ज भी हिंदोस्तानी नहीं था

हमारा सिस्टम खराब है, फिल्में नहीं...

दिलीप साहब ने आगे कहा कि हमारी फिल्में खराब नहीं हैं। हमारे देश की सड़कें खराब हैं, हमारा एजुकेशन सिस्टम खराब है। हमारी कृषि खराब है। मैं समझा कि शायद ये सुनकर पंडित जी शायद नाराज हों। लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो इतनी शांति से बात नहीं करता। हम सबकुछ बना और सुधार सकते हैं लेकिन अपने कल्चर को नहीं।

फिल्मों में की बेजोड़ वापसी....

वह 'राम और श्याम (1967)' तक हिंदी सिनेमा के बादशाह थे, लेकिन जब उनकी फिल्में एक के बाद एक बॉक्स ऑफिस पर धमाका करने लगीं, तो आलोचकों ने उन पर दोहराव का आरोप लगाया। लेकिन बंगाली में 'सगीना महतो' और कुछ हद तक हिंदी में 'गोपी (दोनों 1970 में रिलीज़ हुई)' के लिए, उनकी फिल्में चर्चा पैदा करने में विफल रहीं। मनोज कुमार की 'क्रांति (1981)' के साथ ही उन्होंने वापसी की, एक खास इंसान के रूप में नहीं बल्कि एक पावरफुल रोल में जिसे बॉलीवुड की भाषा में कैरेक्टर एक्टर के रूप में जाना जाता था।

पहली नजर में इस एक्ट्रेस पर दिल हार बैठे थे...

दिलीप कुमार ने साल 1966 में खुद से 22 साल छोटी एक्ट्रेस सायरा बानो से शादी रचाई थी। लेकिन क्या आपको पता है कि दिलीप का पहला प्यार सायरा नहीं बल्कि कोई और था। दरअसल दिलीप कुमार का पहला प्यार एक्ट्रेस कामिनी कौशल थीं। दिलीप की कामिनी से पहली मुलाकात साल 1948 में फिल्म 'शहीद' के सेट पर हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान कामिनी और दिलीप के बीच नजदीकियां बढ़ गईं और यह दोनों एक-दूसरे से प्यार कर बैठे थे। यह दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब दिलीप को पता चला कि कामिनी पहले से ही शादीशुदा थीं।

वहीदा रहमान, आशा पारेख, दिव्या दत्ता जैसी कई हस्तियां पहुंचीं....

बता दें कि, मुंबई में शनिवार को दो दिवसीय फिल्म महोत्सव की शुरुआत हुई। इस मौके पर कई फिल्मी हस्तियां नजर आईं जिनमें वहीदा रहमान, आशा पारेख, दिव्या दत्ता, रमेश सिप्पी और कई अन्य सितारे मौजूद थे। दरअसल, इस फेस्टिवल के दौरान, दिलीप कुमार की फिल्में आन (1952), देवदास (1955), राम और श्याम (1967) और शक्ति (1982) जैसी पॉपुलर फिल्में देश भर के 30 से अधिक सिनेमा हॉल और 20 शहरों में दिखाई जाएंगी। बता दें कि, दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद पिछले साल 7 जुलाई, 2021 को निधन हो गया।


 

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