विपक्ष का कमज़ोर होना क्या लोकतंत्र के लिए ..........
कुछ दलों पर राष्ट्रीय पार्टी बने रहने पर खतरा मंडराया
डेस्क रिपोर्ट। यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे इस बार बिल्कुल स्पष्ट आए हैं। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 255 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। सपा को 111, भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) को 12, कांग्रेस को 2 और बसपा को मात्र एक सीट मिली है। देश के सबसे बड़े सूबे में कभी सरकार बनाने वाली कांग्रेस की हालत ऐसी हो गई है कि इस बार विधानसभा चुनाव 2022 में 387 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस ने यूपी में 399 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इतना ही नहीं, कांग्रेस को महज 2.4 प्रतिशत वोट शेयर मिला जबकि उससे ज्यादा वोट राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को 2.9 फीसदी मिले जो केवल 33 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
कांग्रेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद बेमानी
70 सालों तक देश में शासन करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से अब अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद बेमानी है। पंजाब जेसै राज्य की सत्ता आसानी से गंवा देने वाली कांग्रेस यूपी में भी सत्ता में आने के सपने संजोए थी लेकिन पार्टी को पिछली बार के मुकाबले और कम सीट मिली। 2 सीटों के साथ संतोष करने वाली पार्टी के लिए उत्तराखंड और गोवा में भी उम्मीद की किरण नहीं दिखी। हाँ ऐसे में पार्टी के अंदर एक बार फिर शीर्ष नेतृत्व को लेकर सवाल उठेगा। इस बार प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस एक्टिव तो दिखी पर नाकाफी रहा। महिलाओं को 40 फीसदी आरक्षण और ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे के साथ आने वाली कांग्रेस को यूपी में सिर्फ निराशा हाथ लगी। हाथरस और लखीमपुर के मुद्दों को लपकने की कोशिश प्रियंका गांधी ने की लेकिन कमज़ोर संघटन और सही वक़्त पर पार्टी के अंदर कड़े फैसले नहीं लेने की की वजह से लोगों ने 70 सालों तक देश में शासन करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी को घर का रास्ता दिखा दिया। और कोंग्रस के विकल्प
के रूप में आम पार्टी चुनलिया हे
बहुजन समाज पार्टी भी हाशिए पर
दलितों की सबसे बड़ी मसीहा बन के उभरी बहुजन समाज पार्टी अब हाशिए पर है। इस चुनाव में बीएसपी के खाते में मात्र एक सीट आई। पिछली बार 19 सीट पाने वाली बसपा का प्रदर्शन इस बार और निराशजनक रहा। सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा की 290 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। मायावती दलित नेता के रूप में कमजोर हुई हैं। ये नतीजे पार्टी के लिए जहां निराशजनक हैं वहीं उसके लिए अब राज्यसभा का रास्ता भी मुश्किल हो गया है। एक समय पर बसपा सुप्रीमो उत्तर प्रदेश हीं नहीं पूरे देश में दलित नेतृत्व का सबसे मजबूत चेहरा मानी जाती थीं लेकिन इस बार पार्टी का कोर वोट ही भाजपा के खाते में चला गया। इस चुनाव में बसपा की तरफ से न कोई खास तैयारी दिखी न उमड़ता हुआ जनसैलाब। बसपा को देख कर ऐसा लगा ही नहीं कि वो अब योगी आदित्यनाथ का विकल्प बन सकती है। एक और खतरा जो पार्टी को लेकर वो ये कि अब उसके राष्ट्रीय पार्टी होने पर भी खतरा मंडरा रहा है। राज्यसभा में एक सीट और विधान परिषद में प्रतिनिधित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
जमानत जब्त होने का क्या मतलब
दरअसल, जब किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों का कम से कम 1/6 वोट भी नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। इस दशा में लोकसभा चुनाव लड़ रहे सामान्य उम्मीदवारों की 25,000
रुपये और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की 10,000
रुपये जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।
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